नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C.A.G.) | Indian Polity Exam Notes

 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

  • डॉ. अम्बेडकर के अनुसार C.A.G. (कैग) भारतीय संविधान के अंतर्गत महत्वपूर्ण पद है। वह सार्वजनिक धन का संरक्षक है। इसका मूल दायित्व है, विधायिका को अनुमति के बिना राज्य के द्वारा भारत की संचित निधि से कोई व्यय न किया जाए। कैग एक निष्पक्ष एवं स्वायत्त संस्था है, जिसके द्वारा कार्यपालिका का विधाधिका के प्रति उत्तरदायित्व और ज्यादा प्रभावी एवं महत्वपूर्ण हो जाता है। यह भारतीय संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता का प्रमाण है, कि उन्होंने ऐसी प्रशासनिक संस्थाओं का भी निर्माण किया, जिससे लोकतंत्र को संबल प्राप्त हो सके।

संस्था को स्वतंत्र एवं स्वायत्त बनाने के सांविधानिक प्रावधान-

1. राष्ट्रपति के द्वारा कैग को उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश की भांति पद से मुक्त किया जा सकता है।

2. कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।

3. उसको उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर वेतन।

4. उसका वेतन एवं उसके समूचे कर्मचारियों का वेतन भारत की संचित निधि से।

5. संसद के द्वारा उसके वेतन पर मतदान नहीं किया जा सकता।

6. अवकाश प्राप्ति के पश्चात् वह भारत सरकार के अंतर्गत कोई पद ग्रहण नहीं कर सकता।

कैग के कार्य -

  • कैग के कार्य सामान्यतः संघ सरकार और राज्य सरकार के लेखाओं का परीक्षण करना है। उसके कार्यों को संसदीय अधिनियम 1971 के द्वारा व्यापक रूप में परिवर्तित किया गया है। यह बिन्दु अत्यधिक ध्यान देने योग्य है कि कैग भारत में लेखाओं का संकलन नहीं करता है अपितु वह केवल लेखाओं का परीक्षण करता है। अतः कैग के कार्य निम्नलिखित है-

1. भारत की संचित निधि तथा प्रत्येक राज्यों की संचित निधि और संघ शासित क्षेत्रों के द्वारा किए गए खर्च का परीक्षण करना तथा खर्च की रिपोर्ट तैयार करना।

2. लोक लेखा और आकस्मिक निधि से भी संघ एवं राज्य द्वारा किए गए खर्चों की जांच करना।

3. व्यापार, विनिर्माण या लाभ और घाटे चाहे वह राज्य या संघ के किसी विभाग द्वारा किए गए हों, का परीक्षण करना।

4. ऐसी सभी संस्थाओं के लेखाओं की जांच करना, जिन्हें सरकार के द्वारा वित्त प्राप्त होता है या सरकार के राजस्व से संचालित है तथा ऐसी कंपनियों का भी लेखा परीक्षण किया जाएगा, जिन्हें सरकार के द्वारा वित्त प्राप्त होता हो।

कैग एवं भारत में उसकी भूमिका-  

  • भारत में कैग की भूमिका सरकार द्वारा रूपयों के खर्च किए जाने के पश्चात् आरंभ होती है तथा यह रूपयों के निकालने पर नियंत्रण नहीं रखता, बल्कि केवल खर्च की जांच करता है। ब्रिटेन में कैग के द्वारा रूपये निकालने और खर्च दोनों पर नियंत्रण होता है।
  • इस बिन्दु को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, कि क्या कैग सरकार के अतिरिक्त या फालतू खर्च के लिए कोई टिप्पणी कर सकती है? एपेलबी के अनुसार, कैग का कार्य केवल खर्च को नियंत्रित करना है, खर्च के लिए सुझाव या निर्देश देना बिल्कुल नहीं है, क्योंकि सरकार के द्वारा पैसे का खर्च प्रशासन से जुड़ा मुद्दा है। खर्च तथा कुशलता में परस्पर संबंध होता है। कैग के द्वारा सरकार की कुशलता के लिए निर्देश नहीं दिया जा सकता। उसका कार्य वैधानिक रूप से केवल अनियमित खर्च को नियंत्रित करना है, जिसकी अनुमति संसद ने नहीं दी है।
  • अब इस संदर्भ में एक मत निर्मित हो चुका है, कि कैग के द्वारा ऐसी सार्वजनिक कंपनियों का भी लेखा परीक्षण किया जाएगा, जिन्हें सरकार के द्वारा वित्त प्रदान किया जाता है।

निष्कर्ष -

  • कैग की सजगता के कारण भारत में अनेक घोटालों का पर्दाफाश हुआ तथा कैग की रिपोर्ट पर संसद की आंकलन समिति के द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसे संसद में प्रस्तुत किया जाता है, जिसके माध्यम से कार्यपालिका के खर्च पर एक प्रभावी नियंत्रण स्थापित हो जाता है।


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