डेरेजियों एवं यंग बंगाल आंदोलन

 डेरेजियों एवं यंग बंगाल आंदोलन

- डेरेजियों के पिता पुर्तगाली एवं माता भारतीय थी। 1823 ई. में पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत वे भागलपुर के विलायत कोठी में क्लर्क बने।

- अपनी उच्च शिक्षा के कारण हिन्दू कॉलेज में वे अंग्रेजी एवं इतिहास के प्राध्यापक बने। यहाँ वे 1826-31 ई. तक कार्यरत रहे। 1831 ई. में हैजा के कारण 24 वर्ष की अल्पायु में उनकी मृत्यु हो गई।

- डेरेजियो छात्रों की मंडलियाँ बनाकर बुद्धि एवं ज्ञान के संबंध में वाद-विवाद किया करते थे। इस वाद-विवाद के लिए उन्होंने एकेडेमिक एसोसिएशन की स्थापना की, जिससे डेविड हेयर, एडविन रॉयन, डॉ. मील जैसे विद्वान जुड़े थे।

- उनके द्वारा बनाये गए अन्य संगठन :- सोसायटी फॉर द एक्वीजिशन ऑफ जनरल नॉलेज, ऐंग्लो-इंडियन, हिन्दू एसोसिएशन, बंगहित सभा, डिबेटिंग क्लब आदि।

- डेरेजियो सत्य की खोज के संबंध में सुकरात जैसे विचार रखते थे और उन पर सुकरात के ही समान युवाओं को पथभ्रष्ट करने का आरोप लगा।

- डेरेजियो ने युवा छात्रों में राष्ट्रभक्ति का प्रसार करने के लिए मेजिनी के यंग इटली संगठन के समान यंग बंगाल नामक संगठन की स्थापना कर यंग बंगाल आंदोलन चलाया, जिससे दक्षिणारंजन मुखर्जी, रामगोपाल घोष तथा कृष्ण बनर्जी जुड़े हुए थे। इस आंदोलन ने प्रेस की स्वतंत्रता, रैय्यतों की सुरक्षा, प्रशासन के भारतीयकरण, नारी मुक्ति जैसे विषयों को अपनी चर्चा का विषय बनाया।

- डेरेजियो आधुनिक भारत के प्रथम राष्ट्रवादी कवि थे। उनकी कविताओं में भारत के प्राचीन गौरव का महिमामंडन दिखाई देता है।

- डेरेजियो ने अनेक पत्रिकाओं जैसे - इंडिया गजट, कलकत्ता लिटरेरी गजट, बंगाल एनुअल, कैलिडोस्कोप के संपादन में सहायता दी। उन्होंने स्पेक्टेटर जैसे मासिक पत्र प्रकाशित किए।

- डेरेजियो के प्रमुख शिष्य :- रसिक कृष्ण मलिक, कृष्णमोहन बनर्जी, रामगोपाल घोष, महेशचन्द्र घोष, कृष्णमोहन बनर्जी, दक्षिणारंजन, प्यारेचन्द्र मित्र और रामरतन लाहिड़ी आदि थे। इनके शिष्य डेरोजियन कहलाये।

- डेरेजियो के विचारों से प्रेरणा पाकर बाम्बे के एल्फिंस्टन कॉलेज के छात्रों ने यंग बाम्बे आंदोलन चलाया। इसी तरह मद्रास में यंग मद्रास आंदोलन चला। इस आंदोलन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने कहा था कि "डेरेजियों के अनुयायी बंगाल में आधुनिक सभ्यता के अग्रदूत, हमारी जाति के पिता थे, जिनके सद्गुण उनके प्रति श्र(ा पैदा करेंगे और जिनकी कमजोरियों पर कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया जायेगा।"



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