जल प्रदूषण
जल में किसी ऐसे बाहरी पदार्थ की उपस्थिति, जो जल के स्वाभाविक गुणों को इस प्रकार परिवर्तित कर दे कि जल स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो जाय या उसकी उपयोगिता कम हो जाय, जल प्रदूषण कहलाता है।
जल प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण अधिनियम, 1974 की धारा 2 (ड) के अनुसार जल प्रदूषण का अर्थ है- जल का इस प्रकार का संक्रमण या जल के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में इस प्रकार का परिवर्तन या किसी (व्यापारिक) औद्योगिक बहिःस्राव का या किसी तरल वायु (गैसीय) या ठोस वस्तु का जल में विसर्जन जिससे उपताप हो रहा हो या होने की सम्भावना हो।
या ऐसे जल को नुकसानदेह तथा लोक स्वास्थ्य को या लोक सुरक्षा को या घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषीय या अन्य वैधपूर्ण उपयोग को या पशु या पौधों के स्वास्थ्य तथा जीव-जन्तु को या जलीय जीवन को क्षतिग्रस्त करें।
वे वस्तुएं एवं पदार्थ जो जल की शुद्धता एवं गुणों को नष्ट करते हों, प्रदूषक कहलाते हैं।
जल प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण अधिनियम, 1974 की धारा 2 (ड) के अनुसार जल प्रदूषण का अर्थ है- जल का इस प्रकार का संक्रमण या जल के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में इस प्रकार का परिवर्तन या किसी (व्यापारिक) औद्योगिक बहिःस्राव का या किसी तरल वायु (गैसीय) या ठोस वस्तु का जल में विसर्जन जिससे उपताप हो रहा हो या होने की सम्भावना हो।
या ऐसे जल को नुकसानदेह तथा लोक स्वास्थ्य को या लोक सुरक्षा को या घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषीय या अन्य वैधपूर्ण उपयोग को या पशु या पौधों के स्वास्थ्य तथा जीव-जन्तु को या जलीय जीवन को क्षतिग्रस्त करें।
वे वस्तुएं एवं पदार्थ जो जल की शुद्धता एवं गुणों को नष्ट करते हों, प्रदूषक कहलाते हैं।
जल प्रदूषण के स्रोत अथवा कारण
जल प्रदूषण के स्त्रोतों अथवा कारणों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है-
1. प्राकृतिक स्रोत 2. मानवीय स्रोत।
1. प्राकृतिक स्रोत 2. मानवीय स्रोत।
जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत
कभी-कभी भूस्खलन के दौरान खनिज पदार्थ, पेड़-पौधों की पत्तियां जल में मिल जाती हैं जिससे जल प्रदूषण होता है।
इसके अतिरिक्त नदियों, झरनों, कुओं, तालाबों का जल जिन स्थानों से बहकर आता है या इकट्ठा रहता है, वहां की भूमि में यदि खनिजों की मात्रा है तो वह जल में मिल जाता है। वैसे तो इसका कोई गम्भीर प्रभाव नहीं होता है।
परन्तु यदि जल में इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो नुकसानदेह साबित होते हैं।
यही कारण है कि किसी क्षेत्र विशेष में एक ही बीमारी से बहुत से लोग पीड़ित होते हैं क्योंकि उस क्षेत्र विशेष के लोग एक जैसे प्राकृतिक रूप से प्रदूषित जल का उपयोग करते हैं।
जल में जिन धातुओं का मिश्रण होता है उन्हें विषैले पदार्थ कहते हैं- जैसे सीसा, पारा, आर्सेनिक तथा कैडमियम।
इसके अतिरिक्त जल में बेरियम, कोबाल्ट, निकल एवं वैनेडियम जैसी विषैली धातुएं भी अल्पमात्रा में पायी जाती हैं।
इसके अतिरिक्त नदियों, झरनों, कुओं, तालाबों का जल जिन स्थानों से बहकर आता है या इकट्ठा रहता है, वहां की भूमि में यदि खनिजों की मात्रा है तो वह जल में मिल जाता है। वैसे तो इसका कोई गम्भीर प्रभाव नहीं होता है।
परन्तु यदि जल में इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो नुकसानदेह साबित होते हैं।
यही कारण है कि किसी क्षेत्र विशेष में एक ही बीमारी से बहुत से लोग पीड़ित होते हैं क्योंकि उस क्षेत्र विशेष के लोग एक जैसे प्राकृतिक रूप से प्रदूषित जल का उपयोग करते हैं।
जल में जिन धातुओं का मिश्रण होता है उन्हें विषैले पदार्थ कहते हैं- जैसे सीसा, पारा, आर्सेनिक तथा कैडमियम।
इसके अतिरिक्त जल में बेरियम, कोबाल्ट, निकल एवं वैनेडियम जैसी विषैली धातुएं भी अल्पमात्रा में पायी जाती हैं।
जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत
जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत अथवा कारण हैं-
1. घरेलू बहिःस्राव (Domestic effluent)
2. वाहित मल (Sweage)
3. कृषि बहिःस्राव (Agricultural effluent)
4. औद्योगिक बहिःस्राव (Industrial effluent)
5. तेल प्रदूषण (Oil pollution)
6. तापीय प्रदूषण (Thermal pollution)
7. रेडियोधर्मी अपशिष्ट एवं अव्पात (Radioactive wastes and fall outs)
8. अन्य कारण (Other causes of pollution)
1. जलीय जीव-जन्तुओं पर प्रभाव
2. जलीय पादपों पर प्रभाव
3. पशु-पक्षियों पर प्रभाव
4. मानव पर प्रभाव
5. जल प्रदूषण के कुछ अन्य प्रभाव
(i) पेयजल का अरुचिकर तथा दुर्गन्धयुक्त होना
(ii) सागरों की क्षमता में कमी
(iii) उद्योगों की क्षमता में कमी
1. घरेलू बहिःस्राव (Domestic effluent)
2. वाहित मल (Sweage)
3. कृषि बहिःस्राव (Agricultural effluent)
4. औद्योगिक बहिःस्राव (Industrial effluent)
5. तेल प्रदूषण (Oil pollution)
6. तापीय प्रदूषण (Thermal pollution)
7. रेडियोधर्मी अपशिष्ट एवं अव्पात (Radioactive wastes and fall outs)
8. अन्य कारण (Other causes of pollution)
जल प्रदूषण का प्रभाव (Effect of Water Pollution)
जल प्रदूषण का प्रभाव बहुत ही खतरनाक होता है। इससे मानव तो बुरी तरह प्रभावित होता ही है, जलीय जीव-जन्तु, जलीय पादप तथा पशु-पक्षी भी प्रभावित होते हैं।1. जलीय जीव-जन्तुओं पर प्रभाव
2. जलीय पादपों पर प्रभाव
3. पशु-पक्षियों पर प्रभाव
4. मानव पर प्रभाव
5. जल प्रदूषण के कुछ अन्य प्रभाव
(i) पेयजल का अरुचिकर तथा दुर्गन्धयुक्त होना
(ii) सागरों की क्षमता में कमी
(iii) उद्योगों की क्षमता में कमी
Tags:
पर्यावरण