मॉउण्टबेटन योजना (Mountbatten Plan)
मार्च, 1947 ई. में लॉर्ड मॉउण्टबेटन भारत आए और यहाँ की राजनीतिक स्थिति पर विभिन्न नेताओं से उन्होंने विचार-विमर्श किया। इस सिलसिले में वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे, कि भारतीय समस्या का एकमात्र समाधान देश का विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना है। इस प्रकार समय एवं स्थिति का अध्ययन कर तथा दोनों राजनीतिक दलों कांग्रेस और मुस्लिम लीग का दृष्टिकोण समझकर वह 18 मई, 1947 को लंदन गए। वहाँ ब्रिटिश मंत्रिमण्डल से परामर्श कर उन्होंने 3 जून, 1947 को एक योजना प्रस्तावित की, जो "माउण्टबेटन योजना' कहलाई। इस योजना की मुख्य बातें निम्नलिखित थीं
(i) ब्रिटिश सरकार की यह इच्छा है, कि वह भारत का शासन शीघ ही ऐसी सरकार को सौंप दे, जिसका निर्माण जनता की इच्छा पर किया गया हो।
(ii) ब्रिटिश सरकार यह नहीं चाहती, कि वर्तमान संविधान सभा के कार्य में किसी प्रकार की बाधा उपस्थित की जाए।
(iii) योजना में यह स्पष्ट कर दिया गया कि वर्तमान संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान को देश के उन भागों पर नहीं लादा जाए, जो उसको स्वीकार नहीं करते।
(iv) यह जानने के लिए कि देश के वे भाग, जो इस संविधान सभा के संविधान को स्वीकार नहीं करते हैं, किसी नई संविधान सभा का निर्माण करना चाहते हैं या नहीं, इस प्रक्रिया का अनुसरण किया जाएगा।
(v) पंजाब और बंगाल की विधानसभाओं के अधिवेशन दो भागों में किये जाएंगे, एक भाग उन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का होगा, जिसमें मुसलमानों का बहुमत नहीं है। इनके सामने यह प्रश्न प्रस्तुत किया जाएगा, कि वे अपने प्रांतों का विभाजन करना चाहते हैं अथवा नहीं। यदि वोट विभाजन के पक्ष में आए, तो उनको यह निर्णय करना होगा, कि वे संविधान सभा में सम्मिलित होना चाहते हैं या एक पृथक् संविधान सभा का निर्माण करना चाहते हैं।
(vi) सिंध की विधान सभा को भी इस बात का निर्णय करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
(vii) उत्तर-पश्चिम सीमा प्रंत के विषय का निर्णय वहाँ की विधानसभा द्वारा नहीं वरन्, वहाँ का निर्णय जनमत संग्रह द्वारा किया जाएगा।
(viii) असम के सिलहट जिले में मुसलमान बहुंख्यक हैं, जबकि अन्य भागों में हिन्दुओं का बहुमत है। सिलहट जिले में इस बात का निर्णय जनमत द्वारा किया जाएगा, कि वहाँ की जनता असम के अंतर्गत् रहना चाहती है या पूर्वी बंगाल में सम्मिलित होना चाहती हैं।
(ix) देशी रियासतों के संबंध में उसी योजना तथा व्यवस्था को स्वीकार किया जाएगा, जिनका निर्धारण कैबिनेट मिशन योजना में किया गया था।
(x) यदि उपर्युक्त योजना के अनुसार, मुस्लिम क्षेत्र विभाजन का समर्थन करते हैं, तो भारत और पाकिस्तान सीमा का निर्धारण करने के लिए एक कमीशन की नियुक्ति की जाएगी।
(xi) इस बात को स्पष्ट कर दिया गया, कि ब्रिटिश सरकार 1948 तक सत्ता हस्तांतरित करने की प्रतीक्षा नहीं कर 1947 में ही भारत को सत्ता सौंप देगी।